प्रकाशित 2025-03-17
संकेत शब्द
- समवाय पद्धति,
- मस्तिष्क
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सार
इस लेख में गाँधीजी द्वारा वर्धा में स्थापित ‘ नई तालीम’ पद्धति की वर्तमान स्थिति एवं
शैक्षणिक गतिविधियों का
वर्णन किया गया है। इसमें गाँधीजी के शैक्षिक दर्शन की दरदू र्शिता, समवाय पद्धति, हाथ, मस्तिष्क तथा �दय
के द्वारा बालक के सर्वांगीण विकास का वर्णन किया गया है। इस लेख में यह बताने का प्रयास किया गया है कि
गाँधीजी ने देश की आज़ादी के पहले ही यह अनमान लगा
ु लिया था कि शिल्प आधारित शिक्षा ही भारतीय
परिस्थितियों में सफल सिद्ध हो सकती है। अतः उन्होंने शिल्प पर केंद्रित क्रिया आधारित शिक्षा पर बल दिया है।
वर्तमान समय की शैक्षिक समस्याओ, रो ं ज़गार समस्याओ, मं लू्यों एवं
अनशासन के
ु गिरते स्तर, समाज में आर्थिक
एवं
सामाजिक भेदभाव इत्यादि पर ध्यान दें तो हम यह कह सकते हैं कि इन सबके पीछे कहीं-न-कहीं आधनिु क
शिक्षा अधिक जि़म्मेदार है। अतः यदि हमें देश में सामाजिक एकरूपता, आपसी सदभाव लाना है तो हमें गाँधीजी
् की ‘ नई तालीम’ पद्धति का पनः अध
ु ्ययन करके नये समाज की ज़रूरतों के अनकुूल उसे नये तरीके से लाग करने
ू
की आवश्यकता है।