गोस्वामी आयुष्मान. “समझे न, समझे पर समाज की भाषा को तो समझे”. भारतीय आधुनिक शिक्षा, vol. 30, no. 02, Oct. 2009, pp. 42-46, http://14.139.250.109:8090/index.php/bas/article/view/49.