प्रकाशित 2025-09-02
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सार
बच्चों के लेखन में उनकी अपनी ही दुनिया झलकती है। वे अकसर वही लिखते हैं जिसे उन्होंने हृदयस्थ किया हुआ है। बच्चों की अनुभूति का स्तर भी किसी वयस्क की तरह ही परिपक्व होता है, हाँ यह अलग बात है कि वे क्या अनुभूत करते हैं और कितनी गहराई तक अनुभूत करते हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि बड़े जिस चीज़ या घटना को बहुत मामूली मानते हैं, वही चीज या घटना किसी बच्चे के लिए ‘बहुत बड़ी' होती है। शायद ही किसी बड़े को उतना अंतर पड़े जब उनकी मुर्गी किसी की उदर-पूर्ति का माध्यम बने। लेकिन वहीं एक बच्चे के लिए यह बहुत बड़ी घटना होती है और वह उस मुर्गी के दर्द को महसूस कर पाता है। प्रस्तुत लेख में विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से यही 'कहने' का प्रयास किया गया है कि बच्चों के लेखन को बहुत ध्यान से पढ़ा जाना चाहिए ताकि एक ओर उनके लेखन की बारीकियों को समझा जा सके और साथ ही उनके मनोभावों को भी समुचित तरूप से समझा जा सकेा एक-दो बच्चों की दुनिया के बहाने अनेक बच्चों की दुनिया को समझने का प्रयास किया गया है।