खंड 43 No. 3 (2019): प्राथमिक शिक्षक
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मूल्य-आधारित शिक्षा

नरेश कुमार
प्रवक्ता, मंडलीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, घुम्मनहेड़ा, नई दिल्ली

प्रकाशित 2025-09-02

सार

मूल्य वे सिद्धांत हैं जो किसी सभ्य संस्कृति वाले समाज की नींव डालते हैं। ये व्यक्ति के दिन-प्रतिदिन के व्यवहार एवं क्रियाओं को सामाजिक जीवन में करते हैं। क्या ये मूल्य महत्वपूर्ण, अपेक्षित और सही हैं? यह निर्धारित करने का स्तर और प्रवृत्ति मूल्य है। मानव मूल्य वह सद्गुण समूह अथवा ऐसी आचार संहिता है जिसे बच्चा अथवा व्यक्ति अपने संस्कारों एवं पर्यावरण के माध्यम से अपनाकर अपने निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अपनी जीवन-शैली का निर्माण तथा अपने व्यक्तित्व का विकास करता है। मूल्यों में समाज के लोगों के विचार, विश्वास, आस्था एवं निष्ठा आदि सम्मिलित होते हैं। ये मूल्य जहाँ एक ओर व्यक्ति के अंतःकरण द्वारा नियंत्रित होते हैं तो वहीं दूसरी ओर ये व्यक्ति विशेष की संस्कृति एवं परंपरा द्वारा निरंतर परिभाषित होते हैं तथा इनकी कसौटी 'बहुजन हित' मानी जाती है। मूल्य जहाँ एक ओर व्यक्ति के व्यवहार की दिशा को आधार देते हुए उसके व्यक्तित्व का समग्र एवं संतुलित विकास करते हैं, तो वहीं दूसरी ओर ये समाज को उचित एवं न्यायपूर्ण व्यवस्था भी प्रदान करते हैं। मानव जीवन को आनंदमयी एवं सुखमय बनाने में इन मूल्यों का अतुलनीय योगदान रहता है तथा इन मूल्यों के अर्जन एवं विकास में शिक्षा एक महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका का निर्वाह करती है।