प्रकाशित 2025-09-02
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शर्मा उ. (2025). लक्ष्मी की पेंसिल. प्राथमिक शिक्षक , 43(4), p.79–93. http://14.139.250.109/index.php/pp/article/view/4568
सार
बच्चों में लिखने की चाहत तो होती ही है, लेकिन उस चाह को सार्थक अवसर और दिशा देनी की ज़रूरत होती है। बच्चे अकसर जो अनुभूत करते हैं उसे कागज़ पर उकेरने की कोशिश करते हैं। इसी प्रयास में वे कुछ-न-कुछ तो अभिव्यक्त करते ही हैं। उनकी अभिव्यक्ति को समझना, उसे सराहना और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देना भी लेखन की चाह को बढ़ावा देता है। लेख प्राथमिक स्तर पर अलग-अलग उम्र के बच्चों के साथ हुए अनुभवों को समेटने का प्रयास है। बच्चों के लेखन की बानगी यह सोचने पर विवश करती है कि बच्चे कितना कुछ लिख सकते हैं और हम उन्हें क्या लिखने को देते हैं या उनकी लेखन क्षमता का कैसा अवमूल्यन करते हैं!