खंड 43 No. 4 (2019): प्राथमिक शिक्षक
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लक्ष्मी की पेंसिल

उषा शर्मा
प्रोफ़ेसर, प्रारंभिक शिक्षा विभाग, रा.शै.अ.प्र.प., नई दिल्ली

प्रकाशित 2025-09-02

सार

बच्चों में लिखने की चाहत तो होती ही है, लेकिन उस चाह को सार्थक अवसर और दिशा देनी की ज़रूरत होती है। बच्चे अकसर जो अनुभूत करते हैं उसे कागज़ पर उकेरने की कोशिश करते हैं। इसी प्रयास में वे कुछ-न-कुछ तो अभिव्यक्त करते ही हैं। उनकी अभिव्यक्ति को समझना, उसे सराहना और उस पर अपनी प्रतिक्रिया देना भी लेखन की चाह को बढ़ावा देता है। लेख प्राथमिक स्तर पर अलग-अलग उम्र के बच्चों के साथ हुए अनुभवों को समेटने का प्रयास है। बच्चों के लेखन की बानगी यह सोचने पर विवश करती है कि बच्चे कितना कुछ लिख सकते हैं और हम उन्हें क्या लिखने को देते हैं या उनकी लेखन क्षमता का कैसा अवमूल्यन करते हैं!