खंड 42 No. 3 (2018): प्राथमिक शिक्षक
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भावात्मक विकास

पूनम
अध्यापिका, आई.आई.टी. नर्सरी स्कूल, नई दिल्ली

प्रकाशित 2025-07-30

संकेत शब्द

  • शारीरिक मानसिक उत्तेजना,
  • भावात्मक स्थिरता,
  • भावात्मक व्यवहार

सार

भाव मानसिक स्थिति को प्रभावित करने वाले होते हैं तथा शारीरिक या मानसिक उत्तेजना के समय सदा क्रियाशील रहते हैं। जैविक या मनोवैज्ञानिक प्रेरकों की तरह भाव व्यवहार को क्रियाशील एवं निर्देशित कर सकते हैं। भावात्मक व्यवहार, अभिव्यक्ति और मानसिक प्रतिक्रियाओं का परस्पर मिश्रण है। मनोभाव का शारीरिक पक्ष विविध शारीरिक गतियों, जैसे— किसी विशेष ग्रंथियों के स्राव, रक्त परिसंचरण में तीव्रता, तीव्र हृदय स्पंदन आदि में प्रकट होता है। वहीं दूसरी ओर मानसिक भाव क्रोध, भय, दुःख और आनंद में फलित होते हैं। इसलिए यह आवश्यक है कि इन्हें नियंत्रित किया जाना चाहिए, जिसके लिए बच्चों को भावात्मक स्थिरता विकसित करने के लिए क्रियाएँ करवानी चाहिए। उन्हें भावात्मक रूप से अवश्य परिपक्व होना चाहिए। भावात्मक परिपक्वता का तात्पर्य यह नहीं है कि जीवन में भावनाओं और मनोभावों का अभाव हो। भाव जीवन के प्रेरक हैं और जीवन को जीवन योग्य बनाते हैं। प्रस्तुत लेख में बच्चों के भावात्मक विकास पर चर्चा की गई है।