Published 2025-09-02
Keywords
- शिक्षा व्यवस्था,
- सामाजिक बदलाव,
- समतावादी व्यवस्था
How to Cite
Abstract
भारत विविध संस्कृतियों वाला देश है, जो अनेक प्रादेशिक व स्थानीय संस्कृतियों से मिलकर बना है। लोगों के धार्मिक विश्वास, जीवन शैली व सामाजिक संबंधों की समझ एक-दूसरे से बहुत अलग है। सभी समुदायों को सह-अस्तित्व व समान रूप से समृद्ध होने का अधिकार है। इस संदर्भ में शिक्षा व्यवस्था भी हमारे देश में इस सांस्कृतिक विविधता के अनुरूप होनी चाहिए। भारत का संविधान सभी नागरिकों को स्थिति व अवसर की समानता का आश्वासन देता है। शिक्षा की परिधि से बच्चों की विशाल संख्या का बाहर होना, शिक्षा पाने के अवसरों के वितरण की स्थिति और जाति, वर्ग, जेंडर के आधार पर सामाजिक भेदभाव, समानता के इस मूल्य को बाधित करता है। इस अर्थ में शिक्षा की भूमिका सामाजिक बदलाव व समतावादी व्यवस्था लाने वाली होनी चाहिए। प्रस्तुत लेख इसी मुद्दे के संदर्भ में शिक्षा-चिंतन को एक दिशा देने का प्रयास है।