Vol. 42 No. 4 (2018): प्राथमिक शिक्षक
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बाल संसद के रास्ते

Published 2025-07-30

How to Cite

दीक्षित प. . ‘मलय’. (2025). बाल संसद के रास्ते. प्राथमिक शिक्षक, 42(4), p.36-41. http://14.139.250.109/index.php/pp/article/view/4527

Abstract

विद्यालय वह स्थान होता है जहाँ किसी बच्चे के अनगढ़ व्यक्तित्व को गढ़ श्रेष्ठ नागरिक के रूप में विकसित करने की दृष्टि और सोच काम करती है। बच्चों में यह चेतना कक्षाओं के अन्दर केवल विषयगत समझ को विस्तार  देने से संभव नहीं होती, बल्कि अन्य गतिविधियों, क्रियाकलापों और विद्यालयी संस्थाओं या समितियों में सक्रिय भागीदारी से भी पनपती है। प्रार्थना सभा, सांस्कृतिक आयोजन, खेलकूद प्रतियोगिताएँ, मीना मंच, विविध प्रोजेक्ट कार्य, दीवार पत्रिका निर्माण आदि इसमें मददगार होते हैं। ‘बाल संसद’ भी विद्यालय का एक ऐसा आयोजन है, जिसके माध्यम से बच्चों में लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति निष्ठा, आस्था एवं श्रद्धाभाव, सामूहिकता, अभिव्यक्ति कौशल, निर्णय लेने की क्षमता, समस्याओं की पहचान और समाधान, मानवीय मूल्य और सौंदर्यबोध पैदा होता है। प्रस्तुत आलेख में बाल संसद के माध्यम से बच्चों में उपजी समझ और उनके कार्यों से विद्यालय एवं गाँव में हुए बदलावों को साझा करने का एक विनम्र प्रयास है।