Vol. 31 No. 01 (2010): भारतीय आधुनिक शिक्षा
Articles

खिलौनों का समाजशास्त्र

Published 2010-07-31

Keywords

  • सामाजिक विकास,
  • बच्चों का मानसिक विकास

How to Cite

अज्ञेय स. व. . (2010). खिलौनों का समाजशास्त्र. भारतीय आधुनिक शिक्षा, 31(01), 16-21. http://14.139.250.109/index.php/bas/article/view/176

Abstract

खिलौने बच्चों के मानसिक, शारीरिक और सामाजिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। हालांकि, खिलौनों को अक्सर केवल मनोरंजन का साधन माना जाता है, उनका समाजशास्त्रिक दृष्टिकोण भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इस शोध का उद्देश्य खिलौनों के समाजशास्त्र का विश्लेषण करना है, अर्थात् वे किस प्रकार समाज, संस्कृति, और परिवारों के भीतर मूल्य, धारणाएँ और सामाजिक संरचनाएँ प्रकट करते हैं।

इस अध्ययन में यह देखा गया है कि खिलौने न केवल बच्चों के खेलने के उपकरण होते हैं, बल्कि वे समाज में लैंगिक, सांस्कृतिक और वर्ग आधारित असमानताओं को भी दर्शाते हैं। उदाहरण स्वरूप, लड़कियों के लिए रसोईघर और फैशन से जुड़े खिलौने, और लड़कों के लिए सैन्य या तकनीकी खिलौने जैसे अलग-अलग खिलौने एक विशेष प्रकार के लैंगिक सामाजिककरण को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा, खिलौने बच्चों के आदर्श और भविष्य के पेशेवर विकल्पों को भी प्रभावित करते हैं।